Thursday, March 12, 2009

झूट का एलान है - - - ये अज़ान


मुसलामानों क़ौम की अक़ल पर हैरत होती है कि वह अपने किसी अमल पर दोबारा एक बार नज़र नहीं डालती कि वह अपने पूर्वजों के पद चिन्हों पर चल कर किस दिशा में जा रही है. अज़ान की सुब्ह से शाम तक की आवाज़ें सिर्फ मुस्लमान ही नहीं सारी दुन्या सुनती है और उस से आशना है, दुन्या में लाखों मस्जिदें होंगी, उन पर लाखों मुअज़्ज़िन(अजान देने वाले) होंगे, दिन में पॉँच बार कम से कम ये बावाज़ बुलंद दोहराई जाती है. अज़ान नमाजों से पहले भी नमाज़ी, नमाज़ की नियत बांधने से पेश्तर पढता है. गरज हर मुअज़्ज़िन जितनी बार अज़ान देता है उसके चार गुना बार एलानिया झूट चीख चीख कर बोलता है और हर नमाज़ी जितनी बार नमाज़ की नियत बाँधता है उसके चार गुना बार बुदबुदाते हुए झूट बोलता है जो अनजाने में हर नमाज़ी पढता है.
देखिए अज़ान में सबसे बड़ा पहला झूट _
१-अश हदो अन्ना मुहम्मदुर रसूलिल्लाह
(मैं गवाही देता हूँ की मुहम्मद अल्लाह के रसूल{दूत} हैं) बोल नंबर 3
गवाही का मतलब क्या होता है ? कोई अदना मुस्लमान से लेकर आलिम, फ़ज़िल, दानिशवर, मुस्लिम बुद्धि जीवी बतलाएं कि एक साधारण मस्जिद का मुलाज़िम किस अख्तियार को लेकर या कौन से सुबूत उसके पास हैं कि वह अल्लाह और मुहम्मादुर्रूसूलिल्लाह का चश्म दीद गवाह बना हुवा है? क्या उसने सदियों पहले अल्लाह को देखा था? और क्या उसे मुहम्मद के साथ देखा था?, सिर्फ देखा ही नहीं, बल्कि अल्लाह को इस अमल के साथ देख था कि वह मुहम्मद को रसूल बना रहा है? क्या अल्लाह की भाषा उस के समझ में आई थी? क्या हर अज़ान देने वाले की उम्र १५०० साल के आस पास की है, जब कि मुहम्मद को ये नबूवत मिली थी.
याद रखें गवाही का मतलब शहादत होता है, अकीदत नहीं, आस्था नहीं, यकीन नहीं, कोई अय्यार आलिम शहादत से चश्म पोशी नहीं कर सकता. गवाही के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता. न ही राम चन्द्र परम हंस की तरह झूटी गवाही दे सकता है कि जैसा उसने गवाही के संसार में एक मिथ्य की नज़ीर क़ायम किया "गीता पर हाथ रख कर कहा कि उसने राम लला को बाबरी मस्जिद में जन्मते देखा"
इसलाम आलमी मज़हब और उसकी बुनियाद इतनी खोखली? हैरत है जेहालत के मेराज पर और इस क़ौम के जुमूद पर.
थोडा सा अज़ान का परिचय दे दूं तो आगे बढूँ - - -
"जब महाजरीन मक्का से मदीना आए, तो एक रोज़ इकठ्ठा होके सलाह मशविरा किया कि नमाज़ियों को इत्तेला करने के लिए कि नमाज़ का वक्त हो गया है, क्या तरीक़ए कार अख्तियार किया जाए. सभी ने अपनी अपनी राय पेश कीं, किसी ने राय दी कि यहूद की तर्ज़ पर सींग बजाई जाए, किसी ने अंसार की तर्ज़ पर नाक़ूश (शंख) फूकने की राए दी. किसी ने कुछ किसी ने कुछ. मुहम्मद सब की राय को सुनते रहे मगर उनको उमर की राय पसंद आई कि अज़ान के बोल बनाए जाएँ, जिस को बाआवाज़ बुलंद पुकारा जाए. मुहम्मद ने बिलाल को हुक्म दिया उठो बिलाल अज़ान दो." (बुखारी ३५३)
अज़ान चन्द लोगों के बीच किया गया एक फैसला था जिस में मुहम्मद के जेहनी गुलामों की सियासी टोली थी. अनपढों के बनाए हुए बोल थे महज़ , यहाँ तक कि मुहम्मद के मफरूज़ा इल्हामी वहियाँ भी न थीं जो बदली न जा सकतीं. हाँ उमर की अज़ान होने के बाईस बाद में शियों ने इस में कुछ रद्दो बदल कर दिया मगर इसे और भी दकयानूसी बना दिया. अज़ान मुसलमानों में इस क़द्र मुक़द्दस है कि बच्चे के पैदा होते ही इस झूट को उस के कानों में फूँक दिया जाता है.
अब आगे देखिए कि पंचों का ये फैसला मुहम्मद अपनी फरमूदत में कैसे ढालते हैं - - -
" मुहम्मद कहते हैं कि जब नमाज़ के लिए अज़ान दी जाती है तो शैतान पादता हुवा इतनी दूर भागता है कि जहाँ तक अज़ान की आवाज़ जाती है. जब अज़ान ख़त्म हो जाती है तो फिर वापस आ जाता है और तकबीर नमाज़ बा जमाअत के बाद फिर भाग जाता है. उसके बाद फिर आ जाता है और नमाजियों को वस्वसे में डाल देता है ----
(बुखारी ३५५)
इस झूटी गवाही की झूट अज़ान की इस तरह की बहुत सी बरकतों की एक तवील फेहरिस्त आप को मिलेगी.
२-अश हदोअन ला इलाहा इल्लिल्लाह
(मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं.) बोल नंबर २
यहाँ पर भी गवाही तो बहरहाल काबिले एतराज़ है चाहे इस्लामी अल्लाह हो, या आलमी अल्लाह हो या गाड हो. लायके इबादत भी मुनासिब नहीं. काबिले सताइश तो हो सकता है. कोई कुदरत अपनी इबादत की न ज़रुरत रखती है न ही उसकी ऐसी समझ बूझ होती है. उसकी तलाश में खुद उससे जूझते रहना उसकी दावत है और यही इन्सान के हक में है.
३- अल्ला हुअक्बर अल्लाह हुअक्बर
(अल्लाह बहुत बड़ा है) बोल नंबर १
बहुत बड़ी चीजें तभी होती हैं जब कोई दूसरी चीज़ उसके मुकाबले में छोटी हो. कुरआन का एलान है कि अल्लाह सिर्फ़ एक है तो उसका अज़ानी एलान बेमानी है कि अल्ला बहुत बड़ा है. मगर चूंकि इस्लाम एक उम्मी की रक्खी हुई बुन्याद है, इस लिए इस मे ऐसी खामियां रहना फितरी बात है. सच्चाई ये है की मुहम्मद ने एक तरफ़ दूसरा खुदा शैतान को बनाया है तो दूसरी तरफ ३६० काबा के बुतों को तोड़ कर एक बड़े अल्लाह के बाद, उसके रसूल बन कर खुद छोटे अल्लाह बन गए हैं. कलिमाए शहादत इसी बात की तिकड़म है. शैतन को छोटा अल्लाह उन खुदाई ताक़तों से नफरत के लिए जो कहीं पर कुछ चमत्कार रखती हों मगर यहाँ पर भी उम्मी मुहम्मद से भूल चूक हुई है जिस से शैतान बाज़ी मार ले गया है. कुरआन में शैतान को शैतानुर रज़ीम बार बार कहा गया है यानी शैतान अज़मत वाला(महा महिम) इसके मुक़ाबला में अल्लाह सिर्फ रहमान और रहीम. मुक़ाबला शुरू होता है कुरआन की कोई भी सूरह पढने से पहले, देखें - - -
आऊज़ो बिल्लाहे मिनस शैतानुर रजीम, बिस्मिल्ला हिरर रहमा निर रहीम.
नाम पहले शैतान का आता है और उसकी अज़मत के साथ, कारीगर ओलिमा रफू गरी करते रहें.
४- हैइया लस सला, हैइया लस सला.
(आओ नमाज़ की तरफ़ आओ नमाज़ की तरफ़) बोल नंबर ४
नमाजों में यही कुरानी इबारतें आंख मूँद कर पढ़ी जाटी हैं जो हर्फे गलत में आप पढ़ रहे हैं. मनन, मगन , चिंतन, ध्यान या नानक की तरह यादे इलाही में ग़र्क़ हो जाना नमाज़ नहीं है, कुरानी आयातों के पाठ्य में ज़ेर ज़बर का फर्क हुवा तो नमाज़ अल्लाह ताला तुम्हारे मुँह पर वापस मार देगा, बोर्ड इक्जाम की कापियों की तरह चेक होती है नमाजें. मैं इन नमाजों को पंज वक्ता खुराफ़ात कहता हूँ. जोश मलीहाबादी कहते हैं - - -

जिस को अल्लाह हिमाक़त की सज़ा देता है,
उसको बे रूह नमाज़ों में लगा देता है.

५- हैइया लल फला, हैइया लल फला
(आओ भलाई की तरफ ,आओ भलाई की तरफ) बोल नंबर ५
नमाज़ पढना किसी भी हालत में भलाई का काम नहीं कहा जा सकता. इंसानी या मख्लूकी फलाह ओ बहबूद के काम ही भलाई के काम कहे जा सकते हैं. मस्जिद में दाखला ही इस वक़्त सोच समझ कर करने की ज़रुरत है. नव जवानो को खास कर आगाही है कि वह मुल्लाओं के शिकार न बन जाए, मुसलामानों में तरके मस्जिद कि तहरीक चलनी चाहिए जैसे कि तरके मीलादुन नबी खुद बखुद वजूद में आगे है.

12 comments:

  1. mujhe lagta hai ki tark dene ki tumhari aadat zyada hi ho gaee hai, .......tumhara tark mujhe maloom hai abhi post karoge tum.....

    suno

    tark se tum apni baat siddh kar sakte ho lekin sach ko nahin badal sakte !!!!

    ReplyDelete
  2. गणेश शंकर ‘विद्यार्थी‘ की पुण्य तिथि पर मेरा आलेख ''शब्द सृजन की ओर'' पर पढें - गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ का अद्भुत ‘प्रताप’ , और अपनी राय से अवगत कराएँ !!

    ReplyDelete
  3. सही अनुवाद और सही बातों के लिये आओ

    signature:
    विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि
    (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा? हैं या यह big Game against Islam है?
    antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)

    छ अल्लाह के चैलेंज सहित अनेक इस्‍लामिक पुस्‍तकें
    islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog)

    ReplyDelete
  4. who ever u may be my question is to you that who gave you rights to speak non sense on Azaan & Namaz i want to tell you that just go to hell you mother fucker bastard

    ReplyDelete
  5. ऐसे सवालों और जवाबों का सैंकडों साल पहले जवाब दिया जा चुका, आर्य समाज इन सवालों को डालके तब भी घाटे में रहा अब भी रहेगा, विश्‍वास न हो तो पढो

    हक प्रकाश बजवाब सत्‍यार्थ प्रकाश
    online reading
    http://www.scribd.com/doc/42148170/Haq-Parkash-BajawabSatyarthPrakash

    تبر اسلام
    arya samaji kitab nakhle islam ka jawab, Arya samaj ka fitna khatam
    karne wali kitab,

    online reading
    http://www.scribd.com/doc/41845917/Tabrra-e-Islam-Sanaullah-Amratsari


    ترک اسلام کا جواب ترک اسلام
    arya samaji book "tark e islam" ka jawab "turk e islam"

    online reading
    http://www.scribd.com/doc/41806300/Turk-e-Islam-Sanaullah-Amratsari


    urdu book: ویداور سوامی دیانند
    غازی محمود دھرم پال

    online reading
    http://www.scribd.com/Ved-Aur-Swami-Dayananda-Mehmood-Dharmpal-ghazi/d/41514707

    ReplyDelete
  6. ALLAH ne KURAN KARIM me farmaya ha ki maine kafiron ke dilon pr mohar laga di ha to unhe sach nazar nhi aati ha aur wo andhere me bhatak rahe ha aur kabhi sidhi raste pr nhi aa sakte aur ye chahte ha ke jo momin ha unhe b boot parishti pr le aaye

    ReplyDelete
  7. Tu Apni Maan Ki Auolad Hai Tujhe Pta Hai .. Ab Apni Maan Se Puchh Ker Ham KO BHi Btana Ky Tera BAAP kuon Hai ... Auor Teri Maan tere Baap Ka NAm Btaye To khna Subut De ... kiw Ke Tune Teri Maan Ko Tere BAAP Se Chudte Huve Nhi Dekh ... Isliye Tu Ykin Ke Saath Apne Naam Ke Sath Apne Baap Ka Naam Nhi Lgaasqta....Phir Tujhe Soch Na Pdega Har Chiz KA Subut Mumkin Nhi Hota .. Kbhi Kbhi Ham Kisi Kee Quality Dekh Kar Us Puer Ykin Ker Leten Hai...... FIr Uska Ykin Hamara Ykin Hai, Uska Bhrosa Hamara Bhrosa Hai ... Auor Itni Baat Jeene Marne Ko Kafi Hai..Auor Samjh Na Aaye TO MERA MO. no> 919766687552

    ReplyDelete
  8. Tere maa ka sale azaan me kameya nekalta h

    ReplyDelete
  9. bhai aapke sare proof bebuniyad h aur aapki nasamjhi aur jahiliyat ko darshate h. misal ke taur par AAOJU BILLAHI MINASHAITAN NIRRAJEEM ka taejuma hai-PANAH MANGTA HO ME ALLAH KI SHAITAN MARDOOD KE SHAR SE. to shaitan ko maha mahim na batakar mardood karar diya hai.
    Talib e Ilm (SAHID RAJA KHAN)

    ReplyDelete