Saturday, February 7, 2009

यह जहन्नुमी आलिमाने-दीन

क़यामत के दिन तमाम इस्लामी ओलिमा और आइमा को चुन चुन कर अल्लाह जब जहन्नम रसीदा कर चुकेगा तो ही उसके बाद दूसरे बड़े गुनाहगारों की सूची-तालिका अपनी हाथ में उठाएगा. यह (तथा कथित धार्मिक विद्वान) टके पर मस्जिद और कौडियों में मन्दिर ढ़ा सकते हैं। दरोग, किज्ब, मिथ्य और झूट के यह मतलाशी, शर और शरारत के खोजी हुवा करते हैं। इनकी बिरादरी में इनके गढे झूट का जो काट न कर पाए वही सब से बड़ा आलिम होता है। यह इस्लाम के अंतर गत तस्लीम शुदा इल्म के आलिम होते हैं यानी कूप मंडूक जिसका ईमान से कोई संबंध नहीं होता। लफ्ज़ ईमान पर तो इस्लाम ने कब्जा कर रखा है, ईमान का इस्लामी-करण कर लिया गया है, वगरना इस्लाम का ईमान से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। ईमान धर्म-कांटे का निकला हुवा सच है, इस्लाम किसी इंसान की बतलाई हुई ऊल-जुलूल बातें हैं, जिसको आँख मूँद कर तस्लीम कर लेना इस्लाम है । अमरीकी प्रोफेसर सय्यद वकार अहमद हुसैनी कहते हैं "कुरान की 6226 आयातों में से 941 पानी के विज्ञानं और इंजीनयरिंग से संबध हैं, 1400 अर्थ शास्त्र से, जब कि केवल 6 रोजे से हैं और 8 हज से।" प्रोफेसर हुसैनी का ये सफेद झूट है, या प्रोफ़सर हुसैनी ही फर्ज़ी अमरीकी प्रोफ़सर हैं, जैसा कि ये धूर्त इस्लामी विद्वान् अक्सर ऐसे शिगूफे छोड़ा करते हैं । कुरआन कहता है "आसमान ज़मीन की ऐसी छत है जो बगैर खंभे के टिका हुआ है. ज़मीन ऐसी है कि जिस में पहाडों के खूटे ठुके हुए हैं ताकि यह अपनी जगह से हिले-डुले नहीं" और "इंसान उछलते हुए पानी से पैदा हुवा है" कुरान में यह है इंजीनयरिंग और पानी का विज्ञान जैसी बातें। इसी किस्म के ज्ञान (दर अस्ल अज्ञान) से कुरान अटा पडा है जिस पर विश्वास के कारण ही मुस्लिम समाज पिछड़ा हुवा है. मलऊन ओलिमा इन जेहाल्तो में मानेयो-मतलब पिरो रहे हैं. हकीक़त ये है की कुरान और हदीस में इंसानी समाज के लिए बेहद हानि कारक, अंधविश्वास पूर्ण और एक गैरत मंद इंसान के लिए अपमान जनक बातें हैं, जिन्हें यही आलिम उल्टा समझा समझा कर मुस्लिम अवाम को गुमराह किया करते है।
अभी पिछले दिनों एन डी टी वी के प्रोग्राम में हिदुस्तान की एक बड़ी इस्लामी जमाअत के दिग्गज और ज़िम्मेदर आलिम, जमाअत का प्रतिनिधित्व करते हुए भरी महफ़िल में अवाम की आंखों में धूल झोंक गए। बहस का विषय तसलीमा नसरीन थी। मौलाना तसलीमा की किताब को हवा में लहराते हुए बोले,"तसलीमा लिखती है 'उसने अपने बहू से शादी की " गुस्ताख को देखो हुज़ूर की शान में कैसी बे अदबी कर रही है।" ( मोलवी साहब को मालूम नहीं कि अंग्रेज़ी से हिन्दी तर्जुमा में यही भाषा होती है।) आगे कहते है "हुज़ूर की (पैगम्बर मुहम्मद की ) कोई औलादे-नरीना (लड़का) थी ही नही तो बहू कैसे हो सकती है ?" बात टेकनिकल तौर पर सच है मगर पहाड़ से बड़ा झूट, जिसे लाखों दर्शकों के सामने एक शातिर और अय्यार मौलाना बोलकर चला गया और अज्ञात क़ौम ने तालियाँ बजाईं। उसकी हकीक़त का खुलासा देखिए-----
किस्से की सच्चाई ये है कि ज़ैद बिन हारसा एक मासूम गोद में उठा लेने के लायक बच्चा हुवा करता था। उस लड़के को बुर्दा फरोश (बच्चे चुराने वाले) पकड़ कर ले गए और मुहम्मद के हाथों बेच दिया। ज़ैद का बाप हारसा बेटे के ग़म में परेशान ज़ारों-क़तार रोता फिरता। एक दिन उसे पता चला कि उसका बेटा मदीने में मुहम्मद के पास है, वह फिरोती की रक़म जिस कदर उससे बन सकी लेकर अपने भाई के साथ,मुहम्मद के पास गया। ज़ैद बाप और चचा को देख कर उनसे लिपट गया। हारसा की दरखास्त पर मोहम्मद ने कहा पहले ज़ैद से तो पूछो कि वह किया चाहता है ? पूछने पर ज़ैद ने बाप के साथ जाने से इनकार कर दिया, तभी बढ़ कर मुहम्मद ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और सब के सामने अल्लाह को गवाह बनाते हुए ज़ैद को अपनी औलाद और ख़ुद को उसका बाप घोषित किया। ज़ैद बड़ा हुवा तो उसकी शादी अपनी कनीज़ ऐमन से कर दी। बाद में दूसरी शादी अपनी फूफी ज़ाद बहन ज़ैनब से की। ज़ैनब से शादी करने पर कुरैशियों ने एतराज़ भी खड़ा किया कि ज़ैद गुलाम ज़ादा है, इस पर मुहम्मद ने कहा ज़ैद गुलाम ज़ादा नहीं, ज़ैद, ज़ैद बिन मुहम्मद है। मशहूर सहाबी ओसामा ज़ैद का बेटा है जो मुहम्मद का बहुत प्यारा था. गोद में लिए हुए उम्र के ज़ैद वल्द मुहम्मद एक अदद ओसामा का बाप भी बन गया और मुहम्मद के साथ अपनी बीवी ज़ैनब को लेकर रहता रहा, बहुत से मुहम्मद कालीन सहाबी उसको बिन मुहम्मद मरते दम तक कहते रहे और आज के टिकिया चोर ओलिमा कहते हैं मुहम्मद की कोई औलादे-नरीना ही नहीं थी. सच्चाई इनको अच्छी तरह मालूम है कि वह किस बात की परदा पोशी कर रहे हैं.
दर अस्ल गुलाम ज़ैद की पहली पत्नी ऐमन मुहम्मद की उम्र दराज़ सेविका थी ओलिमा उसको पैगम्बर की माँ की तरह बतला कर मसलेहत से काम लेते है. खदीजा मुहम्मद की पहली पत्नी भी ऐमन की हम उम्र मुहम्मद से पन्द्रह साल बड़ी थीं. ज़ैद की जब शादी ऐमन से हुई, वह जिंस लतीफ़ से वाकिफ भी न था. नाम ज़ैद का था काम मुहम्मद का, चलता रहा. इसी रिआयत को लेकर मुहम्मद ने जैनब, अपनी पुरानी आशना के साथ फर्माबरदार पुत्र ज़ैद की शादी कर दी, मगर ज़ैद तब तक बालिग़ हो चुका था . एक दिन, दिन दहाड़े ज़ैद ने देखा कि उसका बाप मुहम्मद उसकी बीवी जैनब के साथ मुंह काला कर रहा है, रंगे हाथों पकड़ जाने के बाद मुहम्मद ने लाख लाख ज़ैद को पटाया कि ऐमन की तरह दोनों का काम चलता रहे मगर ज़ैद नहीं पटा. कुरआन में सूरह अखरब में इस तूफ़ान बद तमीजी की पूरी तफ़सील है मगर आलिमाने-दीन हर ऐब में खूबी गढ़ते नज़र आएंगे.
इसके बाद इसी बहू ज़ैनब को मुहम्मद ने बगैर निकाह किए हुए अपनी दुल्हन होने का एलान किया और कहा कि "ज़ैनब का मेरे साथ निकाह सातवें आसमान पर हुवा, अल्लाह ने निकाह पढ़ाया था और फ़रिश्ता जिब्रील ने गवाही दी।" इस दूषित और घृणित घटना में लंबा विस्तार है जिसकी परदा पोशी ओलिमा पूर्व चौदह सौ सालों से कर रहे हैं। इनके पीछे अल्कएदा, जैश, हिजबुल्ला और तालिबान की फोजें हर जगह फैली हुई हैं। "मुहम्मद की कोई औलादे-नारीना नहीं थी" इस झूट का खंडन करने की हिंदो-पाक और बांगला देश के पचास करोड़ आबादी में सिर्फ़ एक औरत तसलीमा नसरीन ने किया जिसका जीना हराम हो गया है।

9 comments:

  1. अच्छा लेख ....आपका और आपके ब्लॉग का स्वागत है ..

    अनिल कान्त
    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  2. अच्छी पोस्ट लिखी है।बधाई।

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  3. भाई आपका लिखने का स्तर बहुत हल्का है
    .लगता है इस्लाम का बढता दायरा आपको हज़म नही हो रहा
    मेरे ब्लॉग पर आकर दुनिअभर के उन लोगों की दास्ताँ पढो तुम्हारे दावे की पोल खुल जायेगी
    जब जब तुम्हारे जेसे लोग इस्लाम पर कीचड़ उछालते हें
    इस्लाम ज्यादा फेलता है 'यह इसकी फितरत है
    मेरी दुवा है इश्वर तुम्हे सदबुधि दे
    www.islamicwebdunia.com

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  4. और कोई पैग़म्बर उनके पास ऐसा नहीं आया जिससे इन लोगों ने ठट्ठे नहीं किए हो

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  5. tum dinia ke galich ensano me se ek ho. RASHID AZEEM

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  6. sachchai chup nahi sakti banawat ke usoolo se ! ke khushbu aa nahi sakti kabhi kagaz ke phoolo se...

    1400 saal bad hi sahi sachchai samne aayi ,sari duniya ko muhammad ke bare me jannane ka mauka mila. muslimo ko bhi chahiye ki sach ka sath de aur tarakki ki taraf kadam badhaye....madaraso aur maulviyo ne to kewal islam ke naam par saudi arab se dalar kamane hai....

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  7. islam ko samajho duniya me sirf islam ek asa dharm hai jo inshan ko jina sikhati hai
    baki dharmo me sirf jo saktishali hai wo bhagwan hai
    Mere hisab se aap ko islam me galat fami is karan hai ki aap ko jankari hai aur aap galat jankari kisi aur ko mat do
    Yadi quran sarif me jo aap ko bura lage wo ap ayat (chapter verse ) likhe
    Quran hindi me padne ke liye is site par jay
    Www.quranhindi.com

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